सुपरसोनिक एयर ट्रैवल का नया दौर शुरू होने वाला है और चीन इस रेस में सबसे आगे निकलता दिख रहा है।
चीन
की सरकारी एयरोस्पेस कंपनी Comac ने अपने नए सुपरसोनिक एयरलाइनर
प्रोजेक्ट C949 की पहली जानकारी साझा की है। यह नया जेट
ग्लोबल एयर ट्रैवल को पूरी तरह बदल सकता है और इस क्षेत्र में चीन की धाक जमा सकता
है।
C949: Concorde से ज्यादा तेज और शांत
हाल
ही में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में, Comac के इंजीनियरों ने 1.6-Mach
की स्पीड वाले एक एयरलाइनर का ब्लूप्रिंट पेश किया है। यह जेट Concorde
से ज्यादा दूरी तय कर सकेगा और उससे कहीं ज्यादा शांत भी होगा। इससे
चीन 21वीं सदी के सुपरसोनिक ट्रैवल में सबसे आगे निकल सकता
है।
Comac की टीम, जिसकी अगुवाई प्रसिद्ध एरोडायनामिक एक्सपर्ट
Wu Dawei कर रहे हैं, ने बताया कि यह
जेट Concorde की तुलना में 50% ज्यादा
रेंज देगा। यह लगभग 11,000 किमी (6,800 मील) की उड़ान भर सकता है, जबकि Concorde सिर्फ 7,200 किमी (4,500 मील)
तक ही सीमित था।
सोनिक बूम में भारी कमी
C949 में सोनिक बूम को काफी हद तक कम करने का दावा किया गया है। इसकी ध्वनि का
स्तर केवल 83.9 PLdB (perceived level in decibels) होगा,
जो एक हेयर ड्रायर के शोर के बराबर है। यह Concorde के तेज गड़गड़ाहट वाले बूम की तुलना में सिर्फ 1/20वां
होगा, जिससे सुपरसोनिक फ्लाइट्स पर लगे रेगुलेटरी प्रतिबंध
हटाने में मदद मिल सकती है।
डिजाइन और टेक्नोलॉजी में एडवांस फीचर्स
C949 का डिजाइन पूरी तरह फ्यूचरिस्टिक है। इसमें ‘reverse-camber’ मिडसेक्शन वाला शेप-शिफ्टिंग फ्यूज़लाज होगा, जिससे
शॉक वेव्स कम होंगे। साथ ही, इसकी लंबी नुकीली नाक शॉक वेव
को तीन हल्के पल्स में तोड़ देती है, जिससे विमान का शोर कम
होता है।
इसके
अलावा, इंजन के पास खास एरोडायनामिक स्ट्रक्चर्स जोड़े गए हैं, जो एग्जॉस्ट टर्बुलेंस को फैलाकर सोनिक बूम को और भी ज्यादा कम कर सकते
हैं।
AI से लैस कंट्रोल सिस्टम
C949 में AI-पावर्ड फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम होगा, जो फ्लाइट के दौरान विमान की स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगा। साथ ही,
इसमें एक एडवांस्ड फ्यूल मैनेजमेंट सिस्टम होगा, जो 42,000 किग्रा (93,000 पाउंड)
फ्यूल को सात अलग-अलग टैंकों में बैलेंस करेगा, जिससे फ्लाइट
का सेंटर ऑफ ग्रैविटी ऑप्टिमाइज़ किया जा सके।
इंजन और परफॉर्मेंस
इस
जेट में ट्विन एडाप्टिव-साइकल टर्बोफैन इंजन होंगे, जो दो अलग-अलग मोड्स
में काम करेंगे—Mach 1.6 ‘low-boom’ क्रूज़िंग और Mach
1.7 ‘eco’ मोड। यह जेट 16,000 मीटर (52,000
फीट) की ऊंचाई पर उड़ान भरेगा। इसकी टेकऑफ नॉइज़ इंटरनेशनल सिविल
एविएशन ऑर्गनाइज़ेशन (ICAO) के चैप्टर 14 लिमिट्स को पूरा करेगी, जिससे इसे अर्बन एयरपोर्ट्स
में भी ऑपरेट करने की मंजूरी मिल सकती है।
ग्लोबल एविएशन में चीन की बड़ी एंट्री
C949 प्रोजेक्ट ऐसे समय पर सामने आया है, जब अमेरिका-चीन
के बीच टेक्नोलॉजी की होड़ बढ़ रही है। अमेरिका में NASA और Lockheed
Martin का X-59 प्रोजेक्ट 2027 तक 75 PLdB तक के शोर को कम करने पर काम कर रहा है।
वहीं, Boom Supersonic जैसी स्टार्टअप कंपनियां भी इस रेस
में शामिल हैं।
Comac का कहना है कि C949 एक मेनस्ट्रीम सुपरसोनिक जेट
होगा, जिसका लक्ष्य 45 मिलियन
यात्रियों (ग्लोबल एयर ट्रैवल का लगभग 1%) को कवर करना है।
इसमें 28 से 48 यात्रियों के लिए
बिजनेस-क्लास स्टाइल की कैबिन होगी, जो Concorde की 100-सीट कैपेसिटी से काफी कम है।
लॉन्ग रेंज और ट्रांस-पैसिफिक उड़ानें
इस जेट की लंबी रेंज इसे शंघाई से लॉस एंजेलेस तक सिर्फ 5 घंटे में उड़ान भरने में सक्षम बनाएगी। शुरुआत में, यह विमान ट्रांस-पैसिफिक रूट्स पर ऑपरेट करेगा, जिससे नॉइज़ पॉल्यूशन की शिकायतें कम हों।
बड़ी चुनौतियाँ भी मौजूद
हालांकि, C949 को कई बड़ी चुनौतियों का सामना
करना पड़ेगा। सुपरसोनिक बूम को कम करना तो एक कदम है, लेकिन इसका फ्यूल इकोनॉमी काफी
बड़ा सवाल बना रहेगा। अगर इसके इंजन Concorde के Olympus 593 से ज्यादा एफिशिएंट नहीं होंगे, तो इसकी ऑपरेटिंग कॉस्ट बहुत
ज्यादा हो सकती है।
Comac ने अपनी भविष्य की योजनाओं को
लेकर भी खुलासा किया है। कंपनी 2027 तक Boeing 787 को टक्कर देने के लिए C929 लॉन्च करने की योजना बना रही है, जबकि 2039 तक Boeing 777X के मुकाबले के लिए 400-सीट क्षमता वाला C939 लाने की तैयारी में है।
C949 को 2049 तक सेवा में लाने का लक्ष्य रखा
गया है, जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के 100वें वर्षगांठ के साथ मेल खाएगा।
भविष्य में
सुपरसोनिक ट्रैवल का क्या होगा?
विशेषज्ञों
का मानना है कि C949 की सबसे बड़ी चुनौती तकनीकी नहीं बल्कि मनोवैज्ञानिक होगी। 2000 में पेरिस में हुए Concorde क्रैश की भयावह यादें अब भी लोगों
के मन में ताजा हैं। Comac को यह भरोसा दिलाना होगा कि सुपरसोनिक ट्रैवल का यह नया दौर
पहले की गलतियों को नहीं दोहराएगा।
इस पूरे
परिदृश्य को देखते हुए, ऐसा लगता है कि सुपरसोनिक ट्रैवल की रेस में चीन सबसे बड़ा दांव खेल
चुका है—वो भी एकदम
शांत तरीके से।