अमेरिका की economy इस समय अपने सबसे अच्छे दौर में नहीं है। जो डॉलर कभी पूरी global economy को control करता था, अब वह अपनी पकड़ खोता जा रहा है। दुनिया तेजी से बदल रही है और हर देश अपनी economic strategy को नए सिरे से गढ़ रहा है। इसी कड़ी में 11 देशों ने ऐलान किया है कि वे 2025 से डॉलर का इस्तेमाल बंद कर देंगे।
अब सवाल उठता है—क्या यह डॉलर के अंत की शुरुआत है? आइए, इस बड़े बदलाव के पीछे की वजह और असर को समझते हैं।
Dollar Crisis: आखिर डॉलर के साथ हो क्या रहा है?
डॉलर सिर्फ अमेरिका की currency नहीं है, यह दशकों से world economy की धुरी रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही यह दुनिया की मुख्य अंतरराष्ट्रीय रिज़र्व करेंसी बन गया था। आज भी 80% से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय व्यापार डॉलर में होता है—चाहे वह कच्चे तेल की खरीद हो या किसी अन्य जरूरी वस्तु का लेनदेन।
लेकिन अब 11 देशों ने फैसला किया है कि वे अपने local currencies को मजबूत करने के लिए डॉलर को छोड़ देंगे। यह एक छोटा बदलाव नहीं, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को हिलाने वाला फैसला है।
Dollar End: क्या यह डॉलर के अंत की शुरुआत है?
अगर आपको लग रहा है कि डॉलर आज या कल में गायब हो जाएगा, तो ऐसा नहीं है। यह एक धीमी लेकिन अहम शुरुआत है। डॉलर की ताकत एक झटके में खत्म नहीं होगी, लेकिन इसमें गिरावट के साफ संकेत दिख रहे हैं।
JP Morgan की ग्लोबल रिसर्च चेयर, Joyce Chang का कहना है कि यह बदलाव पूरी तरह से दिखने में कई दशक लग सकते हैं, लेकिन इस प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है।
Dollar Alternative: ये देश डॉलर क्यों छोड़ रहे हैं?
इन 11 देशों का मकसद सिर्फ अपनी currency को मजबूत करना नहीं है, बल्कि यह geopolitical power shift का भी हिस्सा है। डॉलर छोड़कर ये देश अपनी स्वतंत्र आर्थिक नीतियां बना सकते हैं, नए व्यापारिक समझौते कर सकते हैं और अमेरिका के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
यह देश Commonwealth of Independent States (CIS) का हिस्सा हैं और ये सभी पहले सोवियत संघ (USSR) का हिस्सा रह चुके हैं। अब ये देश अपने आर्थिक लेन-देन में डॉलर का इस्तेमाल बंद करने जा रहे हैं।
Dollar Restricted: ये 11 देश कौन-कौन से हैं?
-
Armenia
-
Azerbaijan
-
Belarus
-
Kazakhstan
-
Kyrgyzstan
-
Moldova
-
Russia
-
Tajikistan
-
Turkmenistan
-
Uzbekistan
-
Ukraine
इन देशों का कहना है कि वे अपनी स्थानीय करेंसी में ट्रेड करेंगे और एक मजबूत आर्थिक ब्लॉक बनाएंगे।
Dollar Exit: अचानक यह फैसला क्यों लिया गया?
इन देशों ने रूस के मॉडल को अपनाने का फैसला किया है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष के बावजूद, ये देश इस बात से सहमत हैं कि उन्हें डॉलर पर निर्भरता कम करनी होगी।
इसके अलावा, अब cryptocurrency और digital currencies जैसे नए विकल्प भी उभर रहे हैं, जिससे डॉलर का वर्चस्व और कमजोर हो सकता है।
Dollar Impact: क्या नागरिकों पर असर पड़ेगा?
इस बदलाव से इन देशों के लोगों पर सीधा असर पड़ेगा। लेकिन इसे धीरे-धीरे लागू किया जाएगा ताकि बिजनेस और फाइनेंशियल सिस्टम इसके लिए तैयार हो सकें।
शुरुआत में, लोग और कंपनियां दोनों करेंसी (डॉलर और लोकल करेंसी) का इस्तेमाल कर सकेंगे, लेकिन धीरे-धीरे सिर्फ लोकल करेंसी में लेनदेन करना होगा।
Dollar Ban Date: डॉलर बैन की कोई तारीख तय हुई है?
अभी तक कोई निश्चित तारीख घोषित नहीं की गई, लेकिन अनुमान है कि 2025 के मध्य से यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ये देश रूस के मौजूदा मॉडल को अपनाएंगे और धीरे-धीरे डॉलर को पूरी तरह हटा देंगे।
Dollar Future: क्या डॉलर का वर्चस्व खत्म हो जाएगा?
डॉलर अब भी दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी है, लेकिन यह फैसला उसकी ग्लोबल बादशाहत के लिए एक बड़ा झटका है।
क्या यह पहला डोमिनो साबित होगा जो डॉलर के पतन की शुरुआत करेगा? इसका जवाब सिर्फ समय देगा, लेकिन इतना जरूर तय है कि खेल अब बदल रहा है!
इसे भी पढ़े –
Trump's Tariffs: भारत में Mobile Manufacturing को फायदा