ईरान की अर्थव्यवस्था इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि एक अमेरिकी डॉलर की कीमत अब 1,043,000 ईरानी रियाल तक पहुंच गई है। यह गिरावट केवल आर्थिक संकट नहीं, बल्कि वैश्विक तनावों, अमेरिकी प्रतिबंधों और ईरान की नीतियों का मिला-जुला नतीजा है।
अभी कुछ ही दिनों पहले ईरान ने अपने पारंपरिक नववर्ष Nowruz का जश्न मनाया था, लेकिन इस बार त्योहार की चमक फीकी रही। दुकानें बंद थीं, व्यापार ठप था और लोग असमंजस में थे कि आगे क्या होगा। इस अस्थिरता के चलते सड़कों पर अनौपचारिक लेन-देन ही एकमात्र विकल्प बचा था, जिससे मुद्रा बाज़ार पर और भी दबाव बढ़ गया।
US Sanctions on Iran – अमेरिका के प्रतिबंध और आर्थिक संकट
अमेरिका की ‘Maximum Pressure’ नीति ने ईरान की आर्थिक नब्ज़ को जकड़ लिया है। राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान (Masoud Pezeshkian) के सत्ता संभालने के बाद से ही रियाल लगातार गिरता जा रहा है, और अब तो उसने अपनी आधी कीमत तक खो दी है।
ट्रंप प्रशासन ने फरवरी में ऐलान किया था कि वे ईरान पर नए प्रतिबंध लगा रहे हैं, जिससे उसका परमाणु कार्यक्रम (Nuclear Program) पूरी तरह से ठप हो जाए। सिर्फ इतना ही नहीं, ईरान के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव को कमजोर करने और उसके आर्थिक स्रोतों को खत्म करने के लिए भी कई कड़े कदम उठाए गए हैं।
Trump Warning to Iran – ट्रंप की ईरान को सख्त चेतावनी
ईरान और अमेरिका के बीच तल्ख़ी अब किसी से छिपी नहीं है। ट्रंप ने एक साफ संदेश दिया है – या तो समझौता करो, या फिर सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार रहो!
विदेश मंत्री मार्को रुबियो (Marco Rubio) ने इजरायल में बयान देते हुए कहा कि ईरान ही पूरे मध्य पूर्व की अस्थिरता की जड़ है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आतंकवादी संगठन हमास (Hamas) और हिज़्बुल्लाह (Hezbollah) को फंडिंग देने के पीछे भी ईरान का ही हाथ है।
Iran Oil Sanctions – ईरान के तेल कारोबार पर शिकंजा
ट्रंप प्रशासन ने अब ईरान के तेल कारोबार को भी अपनी रणनीति का हिस्सा बना लिया है। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग (Treasury Department) ने उन नेटवर्क्स पर कार्रवाई शुरू कर दी है, जो ईरान के कच्चे तेल को चीन भेजने का काम कर रहे थे।
आंकड़ों पर नजर डालें तो जब ट्रंप ने पहली बार तेहरान पर प्रतिबंध लगाए थे, तब 1 डॉलर = 55,000 रियाल हुआ करता था। लेकिन आज यह 1 डॉलर = 1,043,000 रियाल तक पहुंच गया है। यह गिरावट बताती है कि ईरान की अर्थव्यवस्था अब पूरी तरह से संकट में है।
Iran Economic Future – आगे क्या?
ईरान के लोगों के लिए यह दौर बेहद कठिन साबित हो रहा है। बढ़ती महंगाई, रोज़गार की कमी और आर्थिक अस्थिरता ने आम जनता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अब सवाल यह है कि क्या ईरान अमेरिका के सामने झुकेगा या फिर अपनी जिद पर अड़ा रहेगा?
आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है, और अगर हालात नहीं बदले तो ईरान की मुद्रा इतिहास की सबसे बड़ी गिरावटों में से एक का गवाह बन सकती है।