कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की कड़ी आलोचना करते हुए इसे "centralisation, commercialisation, और communalisation" को बढ़ावा देने वाला बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार public education को कमजोर कर रही है। बीजेपी ने इसे बेबुनियाद आरोप बताते हुए NEP को एक साहसिक और समावेशी सुधार करार दिया।
BJP का पलटवार
सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने
सोनिया गांधी के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। गांधी ने मोदी सरकार पर
"भारत के बच्चों और युवाओं की शिक्षा को लेकर उदासीन" होने का आरोप लगाया।
The Hindu में प्रकाशित अपने लेख में,
उन्होंने कहा कि यह नीति power centralisation, privatisation और education system को वैचारिक रूप से बदलने की एक बड़ी साजिश है। बीजेपी ने इसे
राजनीतिक रूप से प्रेरित और ground
reality से अलग बताया।
केंद्र बनाम विपक्ष
गांधी का यह बयान ऐसे समय आया है जब कुछ
विपक्षी शासित राज्य NEP के कुछ प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं। केंद्र सरकार पूरे देश
में एक समान और आधुनिक शिक्षा सुधार लागू करने की कोशिश कर रही है, लेकिन कई राज्य इससे
सहमत नहीं हैं।
केंद्रीयकरण:
'संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन'
सोनिया गांधी ने अपने लेख "The ‘3Cs’ that haunt Indian education today" में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार NEP को लागू करने के लिए
राज्य सरकारों को decision-making से बाहर कर रही है।
उन्होंने कहा कि Central Advisory Board of Education, जिसमें केंद्र और राज्यों के शिक्षा मंत्री शामिल होते हैं, सितंबर 2019 के
बाद से नहीं मिला है। बावजूद इसके,
शिक्षा नीति में बड़े बदलाव किए गए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार PM-SHRI योजना
को लागू करवाने के लिए Samagra Shiksha Abhiyan (SSA) की फंडिंग रोक रही है,
जिससे Right
to Education (RTE) कमजोर हो रहा है।
उन्होंने इसे सरकार की "bullying
tendency" बताया और कहा कि सरकार शिक्षा के
प्रचार-प्रसार से ज्यादा publicity में रुचि रखती है।
गांधी ने University Grants Commission (UGC) की 2025 की draft guidelines पर भी सवाल उठाए,
जिसमें राज्य सरकारों को Vice-Chancellors की
नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर रखा गया है और Governors
को अधिक अधिकार दिए गए हैं।
व्यावसायीकरण: सरकारी शिक्षा से पीछे हटना
सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर public schooling की
अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि NEP
के "school complexes" कॉन्सेप्ट ने RTE
के neighborhood
school principle को कमजोर कर दिया है, जिससे सरकारी स्कूल
बंद हो रहे हैं और private sector को बढ़ावा मिल रहा है।
उन्होंने डेटा देते हुए बताया कि 2014 के
बाद से 89,000 से ज्यादा सरकारी स्कूल बंद या मर्ज कर दिए गए, जबकि 42,944 private schools खुले हैं। इससे गरीब परिवार महंगे private schools में
पढ़ाई करने को मजबूर हो रहे हैं।
Higher education को लेकर उन्होंने Higher
Education Financing Agency (HEFA) की
भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह universities
को self-financing
की ओर धकेल रहा है, जिससे छात्रों पर financial burden बढ़
रहा है।
सांप्रदायीकरण: शिक्षा प्रणाली पर वैचारिक प्रभाव
गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार education को
communalise कर रही है और छात्रों के मन में एक खास विचारधारा बैठाने की
कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि NCERT की
किताबों से महत्वपूर्ण विषय हटाए गए,
जिसमें संविधान की प्रस्तावना (Preamble) को
भी अस्थायी रूप से हटा दिया गया था। हालांकि public
pressure के बाद इसे वापस जोड़ा गया।
उन्होंने IITs और
IIMs जैसी संस्थानों में "ideologically
motivated" लोगों की नियुक्ति का भी आरोप लगाया।
साथ ही, UGC की नई योग्यता गाइडलाइंस पर सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने कहा
कि ये बदलाव academic excellence की जगह वैचारिक प्रतिबद्धता को बढ़ावा देते हैं।
BJP का जवाब: कांग्रेस को 'पाखंड' बताया
BJP नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता CR
Kesavan ने सोनिया गांधी के लेख पर प्रतिक्रिया
देते हुए कांग्रेस को "political
opportunist" बताया। उन्होंने X (पहले Twitter) पर
पोस्ट करते हुए कांग्रेस के शासनकाल में शिक्षा सुधारों में हुई गड़बड़ियों की ओर
इशारा किया।
Kesavan ने कहा कि NEP एक progressive और inclusive policy है, जो भारत की शिक्षा प्रणाली को global
standards के अनुसार तैयार करने के लिए बनाई गई
है। यह mother tongue में foundational learning को बढ़ावा देती है और institutions
को autonomy
प्रदान करती है।
BJP ने NEP 2020 को "transformative
initiative" बताते हुए कहा कि यह rote learning (रटने
की प्रक्रिया) से आगे बढ़कर holistic और skill-based education पर जोर देती है। पार्टी नेताओं का कहना है कि विपक्ष का यह
विरोध consultation process और policy के core objectives को नजरअंदाज करता है।
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