प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने 2015
में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य माइक्रोफाइनेंस और गैर-बैंकिंग
वित्तीय संस्थानों को सस्ती दरों पर क्रेडिट उपलब्ध कराना था, जिससे छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसायों को बढ़ावा दिया जा सके। यह योजना मैन्युफैक्चरिंग,
सर्विस, रिटेल, एग्रीकल्चर और अन्य संबंधित क्षेत्रों में नौकरियों और आय के अवसर बढ़ाने के लिए
बनाई गई थी।
मुद्रा योजना की शुरुआत और उद्देश्य
माइक्रो
यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (MUDRA) को इस पहल के तहत स्थापित किया गया था। यह योजना अब अपने दसवें वर्ष में
पहुंच गई है और इसका लक्ष्य उन लोगों फंड देना है जो बैंक के सिस्टम से पहले बहार
थे इस योजना से लोग आत्मनिर्भर होंगे और अपना बिजनेस चालू करेंगे
मुद्रा योजना की सफलता
मुद्रा
योजना केवल एक फाइनेंशियल स्कीम नहीं है, बल्कि यह इनोवेशन,
एंटरप्रेन्योरशिप और सेल्फ-रिलायंस को
बढ़ावा देने का एक माध्यम है। यह उन लोगों के लिए बनाई गई थी जिनके पास व्यवसायिक
प्रतिभा तो थी, लेकिन वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण वे
आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। अब तक 52 करोड़ से अधिक लोन दिए जा चुके हैं, जिनकी कुल राशि ₹33 लाख करोड़ से अधिक है।
क्या मुद्रा योजना से NPA बढ़ा है?
कई
लोगों का मानना था कि इस योजना से नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) बढ़ सकते हैं। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि मुद्रा लोन का NPA
रेट केवल 3.5% है, जो
इस सेक्टर में वैश्विक स्तर पर सबसे कम है। इससे यह साबित होता है कि छोटे
उधारकर्ता ईमानदारी से अपने लोन चुका रहे हैं और यह योजना सफल हो रही है।
बैंकिंग सेक्टर और मुद्रा योजना
बैंकिंग
सुधारों और सटीक नीतियों के कारण, भारत का बैंकिंग सेक्टर अब रिकॉर्ड
प्रॉफिट कमा रहा है। PM-Svanidhi, Standup India और
मुद्रा योजना जैसी स्कीम्स से बैंकिंग सिस्टम और अधिक
समावेशी बन गया है। अब गरीब और मध्यम वर्ग भी बिना किसी मुश्किल के फाइनेंशियल
सिस्टम का हिस्सा बन रहे हैं।
महिलाओं और वंचित वर्गों के लिए वरदान
मुद्रा
योजना विशेष रूप से महिलाओं और समाज के वंचित वर्गों के लिए फायदेमंद रही
है। 50%
से अधिक लोन SC, ST और OBC वर्ग को दिए गए हैं, और लगभग 70%
लाभार्थी महिलाएं हैं। इससे यह स्पष्ट
होता है कि यह योजना महिला सशक्तिकरण और वित्तीय समावेशन में बड़ी भूमिका निभा रही
है।
मुद्रा योजना: गाँव के सपनों को पंख लगाती एक कहानी
मैं
अक्सर अपने गाँव जाता हूँ,
जहाँ पहले लोगों के चेहरे पर मजबूरी और निराशा देखने को मिलती थी।
लेकिन आज वहीँ रमेश भैया की छोटी सी साइकिल रिपेयर की दुकान अब बाइक और इलेक्ट्रिक
स्कूटर तक का काम करने लगी है। ये बदलाव कैसे आया? इसकी
कहानी मुद्रा योजना से जुड़ी है...
जब छोटे सपनों को मिला बड़ा सहारा
हमारे
देश के गाँवों और कस्बों में आज एक नई ऊर्जा दिख रही है:
- सीमा
दीदी,
जो पहले घर-घर जाकर पापड़ बेचती थीं, आज
उनकी छोटी यूनिट में 5 और महिलाएँ काम कर रही हैं
- अशोक
भाई,
जो पहले मजदूरी करते थे, आज अपना छोटा
हार्डवेयर स्टोर चला रहे हैं
- 22 साल के राहुल ने मोबाइल रिपेयरिंग की ट्रेनिंग लेकर अपना सेंटर खोला
है
ये
कोई एक-दो कहानियाँ नहीं हैं। 10.6 करोड़ से ज्यादा
पहली बार उद्यमी आज अपना कारोबार चला रहे हैं!
आसान हो रहा है सफर
मुझे
याद है जब मेरे चाचा जी को छोटा सा कारोबार शुरू करने के लिए महीनों बैंक के चक्कर
लगाने पड़े थे। आज स्थिति बदल गई है:
- ₹1 लाख से ₹20 लाख तक का लोन मिल रहा है
- डिजिटल
प्रक्रिया से कागजी काम कम हुआ है
- ONDC जैसे प्लेटफॉर्म पर छोटे व्यवसायी बड़े बाजार तक पहुँच बना रहे हैं
मेरी नजर में: अभी और संभावनाएँ हैं
अपने
अनुभव से मैंने देखा है कि:
1. ग्रामीण
क्षेत्रों में अभी भी जागरूकता की कमी है
2. कई
युवाओं को व्यवसाय चलाने की ट्रेनिंग की जरूरत है
3. महिला
उद्यमियों को और सहायता मिलनी चाहिए
एक
सवाल आपसे:
क्या आपके आस-पास कोई ऐसा व्यक्ति है जिसने मुद्रा योजना से लाभ
उठाया हो? उनकी कहानी सुनकर औरों को भी प्रेरणा मिल सकती है।
प्रधानमंत्री
मुद्रा योजना ने छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देने, वित्तीय
समावेशन बढ़ाने और रोजगार के अवसर पैदा करने में बड़ी भूमिका निभाई है। यह योजना
केवल एक वित्तीय सहायता नहीं है, बल्कि यह लोकल बिजनेस को
नेशनल लेवल तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम बन चुकी है। आने वाले समय में
डिजिटल क्रेडिट सिस्टम और बेहतर बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ, यह योजना और अधिक प्रभावी होगी।
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